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सपना या हक़ीकत

jane unjane
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रात के दस -सवा दस का टाइम रहा होगा| बिजली ना होने की वजह से चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था और वातावरण में नीरवता छाई हुई थी| मैं गांव के अपने घर में बिस्तर पर बैठा हुआ इस सोच विचार में डूबा हुआ था कि मैने छुट्टिया बिताने के लिये गांव आकर कोई गल्ती तो नही कर दी? मेरा गांव यूं तो प्रदेश की राजधानी से कोई बहुत ज्यादा दूर नही है लेकिन श़ायद विकास की धारा के लिये यह दूरी बहुत ज्यादा है और श़ायद यही वज़ह  है की आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के वावजूद और पिछले पाँच वर्षों से राज्य सरकार द्वारा विकास का लाख ढिढोरा पीटने के वावजूद यहाँ ना तो बिजली पहुंची है और ना ही जीने की बुनियादी सुविधाएं|

कुछ पल यूं ही बीते और फिर यह सोच कर कि यूं बोर होने से तो अच्छा है कि धोड़ा टहल लिया जाय -मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और टहलता हुआ घर से बाहर निकल आया| दिसंबर का महीना होने की वजह से सर्दी अपने पूरे जोरों पर थी और चारों तरफ गहरा सन्नाटा छाया हुआ था| दूर दूर तक किसी आदमजात का कोई निशान नज़र नही आता था, हालांकि कुछ घरों के बंधे हुए पशुओं के कभी कभी रंभाने और गले में बंधी घंटियों के बजने से एह अहसास जरूर होता था कि हाँ यहाँ भी ज़ीवन बसता है|

अपने विचारों में डूबा हुआ मैं पता नही किस दिशा में कितनी दूर तक चला गया था कि अचानक किसी के खिलखिला कर हॅसने की जोरदार आवाज़ ने मेरी तंद्रा भंग की| मैं चौंक कर ठिठक गया और तब मुझे अहसास हुआ की अपने विचारों में डूबा हुआ मैं चलते चलते गांव की सीमा से बाहर आ चुका हूँ| अचानक फिर किसी के हॅसने और किसी के बोलने की आवाज़ आई और अब मुझे इस बात में कोई शक नही रहा था की आस पास जरूर कुछ लोग मौजूद थे जो आपस में बातें करते हुए बात बात पर हस रहे थे| मैने आखें फाड़ फाड़ कर अपने चारों ओर देखा तो पाया की जिस पगडंडी पर में खड़ा था उससे कुछ दूरी पर एक मकान था और लोगों के बोलने और हॅसने की आवाज़ें उस मकान से ही आ रही थी| हालांकि मैं डर रहा था लेकिन इस जिग्यासा ने की रात के इस समय उस मकान में- जो दिन में भी अमूनन खाली पड़ा रहता है मेरे कदम स्वतः ही उस मकान की ओर उठा दिये| डरता डरता मैं उस मकान के नज़दीक पहुँचा तो पाया कि उस मकान की बाहर की ओर खुलने वाली एक खिड़की थोड़ी सी खुली हुई थी और आवाज़ें उस खिड़की से ही आ रही थी|

डरते डरते दबे पाव मैं उस खिड़की के पास पहुँचा और खिड़की से भीतर झाँकने पर पाया की अंदर कमरे एक मेज के इर्द गिर्द कुछ लोग कुर्सियों पर बैठे हुए है और मेज पर एक लालटेन रखी हुई जिसका मद्दम प्रकाश उस कमरे में फैला हुआ है| अपर्याप्त रोशनी की वजह से में उनकी शक्ल तो नही देख पा रहा था लेकिन उनकी बातें मैं बाखूबी सुन सकता था|

“दद्दा तुमने तो वाकई कमाल कर दिया” उनमे से एक ने हॅसते हुए कहा-“सारी दुनिया समझ रही है की हमारी आपस की लड़ाई में हमारी पार्टी दो फ़ाड़ हो गयी है-और पार्टी पर कब्जा करने के लिये बाप बेटे और चाचा आपस में इस कदर भिड़ गये है की पार्टी का टूटना निश्चित है, लेकिन कोई माई का लाल यह नही समझ पा रहा यह हम लोगों की आपस की लड़ाई ना होकर हम लोगों की एक सोची समझी चाल है ताकि पार्टी और बबुआ की ईमेज बनाई जा सके|”

“छोटे जब से 2014 के लोकसभा चुनावों में हमारी पार्टी चन्द सीटों पर सिमट कर रह गयी थी तभी से हम इस उधेडबुन में थे की कैसे 2017 के विधानसभा चुनावों की नैया को पार लगाया जाये| दूसरे आदमी ने बोलना शुरु किया-“इतना तो तुम जानते ही हो छोटे की हमारी पार्टी की इमेज बहुत खराब है क्योकिं जितने बाहुबली और दाग़दार छवि वाले नेता हमारी पार्टी में है उतने और किसी में नही है और हमारी पार्टी की सरकार बनते ही यह तमाम लोग और हमारी पार्टी का अदने से अदना कार्यकर्ता भी अपने आपको मुख्यमंत्री से कम नही समझता है और कानून को अपना ज़रखरीद ग़ुलाम जिसका नतीजा होता है की प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमरा जाती है- हालांकि इससे हमे कोई फर्क नही पड़ता क्योकि हमारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हमारी पार्टी की सरकार के समय राज नही करेंगे तो कब करेंगे लेकिन अब वक्त बदल रहा है और जनता ऐसे नेता को ज्यादा पसंद करती है जिसकी सॉफ सुथरी इमेज हो और जिसकी पार्टी में दागदार नेता ना हो और इसीलिये पिछली बार हमने बबुआ को मुख्यमंत्री बना दिया था- लेकिन जल्द ही लोगों को समझ में आ गया की बस चेहरा ही बदल बाकी सब कुछ पहले जैसा ही था जिसका नतीजा हमें लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ा था और हम समझ गये की अगर 2017 का विधानसभा चुनाव जीतना है तो कुछ बड़ा करना पड़ेगा| काफी सोच विचार के बाद हमने यह योजना बनाई और इसका नतीजा तुम सबके सामने ही है|”

“सही कहा दद्दा आपने, आपकी इस योजना का ही यह परिणाम है की आज बबुआ की इमेज बन रही है जैसे वह दागदार नेताओं से मुक्त एक ऐसा शासन देना चाहता है जो प्रदेश का विकास कर सके| फिर से पहली आवाज़ ने बोलना शुरु किया-“लेकिन दद्दा अब आगे क्या होगा?”

“होगा क्या” दद्दा ने कहना शुरु किया-“जब बबुआ की इमेज पूरी तरह से बन जायेगी तब तुम और तमाम दागदार नेता यह कहते हुए की हमारे आपसी झगड़े की वजह से सम्प्रदायिक ताकतों को फायदा पहुंच रहा है पार्टी से अपना इस्तीफा दे देना ऐसा होते ही बबुआ की इमेज में चार चांद लग जायेंगे और तुम लोगों के पार्टी से अलग होते ही बबुआ फिर से हमें अपना नेता मान लेगा और इस तरह जनता को लगेगा की तमाम दागदार लोग हमारी पार्टी से दूर हो चुके है लिहाजा हमारी पार्टी की इमेज सुधर जायेगी और हम आसानी से विधानसभा चुनाव जीत जायेंगे| एक बार चुनाव जीतने के बाद धीरे धीरे तुम तमाम लोगों को एक एक करके वापिस पार्टी में ले लिया जायेगा- खेल खतम पैसा हज़म|”

तभी अचानक ही कोई चूहा मेरे पैरों के उपर से गुजरा और ना चाहते हुए भी मेरे हलक से चीख निकल पड़ी| मेरी चीख सुनते ही दद्दा ने छोटे से चिल्लाते हुए कहा-“छोटे जाओ पकड़ो उसे अगर वह भागने में कामयाब हो गया तो हमारी सारी योजना पर पानी फिर जायेगा|” उधर छोटा बाहर की ओर लपका और इधर मैं अपने घर की ओर भागा- अचानक मुझे एक जोरदार झटका लगा और मैने पाया की मैं उस मकान के पास नही अपने घर पर अपने बिस्तर पर मौजूद हूँ|

‘ओह तो यह सब एक सपना था’ मैने मन ही मन सोचा|

दोस्तों, था तो यह एक सपना ही पर पता नही ना जाने क्यों मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की यह सपना हकीकत के काफी करीब है- आपको क्या लगता है?

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